Success Story Of IAS Namrata Jain : देश की सबसे कठिन प्रतियोगी परीक्षा UPSC यानी की संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा को पास करने के लिए बहुत कठिन परिश्रम करना होता है। हर साल 10 लाख से भी अधिक उम्मीदवार यूपीएससी परीक्षा को देते हैं लेकिन बहुत कम लोग ही इसे पास कर पाते हैं। वर्ष 2018 में नम्रता जैन 12वीं रैंक के साथ UPSC टॉप किया था। नम्रता नक्शल इलाके की रहने वाली हैं। नक्सली इलाके में रहने के बावजूद भी नम्रता ने यूपीएससी को क्वालीफाई कर लिया है। नम्रता ने अपने सफर में अलग-अलग तरह की कठिनाइयों का सामना किया है। नम्रता अपनी छोटी उम्र से ही आईएएस बनने का सपना देखती थीं। नम्रता IAS से पहले IPS के पद पर थीं। आइये इस आर्टिकल में आगे हम Success Story Of IAS Namrata Jain के बारे में जानते हैं।

IAS Namrata Jain Biography

नम्रता छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा की रहने वाली हैं। छत्तीसगढ़ का यह इलाका नक्सल प्रभावित है। इस इलाके की साक्षरता दर बहुत कम है। 2GB इंटरनेट वाले इलाके में रहने वाली नम्रता को परीक्षा की तैयारी करने में बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। नम्रता दंतेवाड़ा के कारली में स्थित निर्मल निकेतन स्कूल से अपनी 10वीं बोर्ड की परीक्षा पास की हैं और फिर 12वीं की भी परीक्षा वहीं से पास की हैं। उसके बाद नम्रता ने भिलाई इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से बीटेक की डिग्री लीं। नम्रता जब कक्षा 8वीं में थीं, तब उनके स्कूल के एक प्रोग्राम में एक कलेक्टर स्पीच देनें आये थे। फिर नम्रता के पापा ने IAS ऑफिसर की शक्तियों के बारे में बताया। नम्रता जब UPSC तैयारी में लगी हुई थीं उसी दौरान 6 महीने के अंतर पर नम्रता के दोनों चाचा की हार्ट अटैक से मौत हो गयी थी। उसेक बाद नम्रता ऑफिसर बनने के लिए डबल मेहनत के साथ तैयारी कीं।

Success Story Of IAS Namrata Jain
Success Story Of IAS Namrata Jain

IAS Namrata Jain Rank

नम्रता जैन ने वर्ष 2015 में UPSC का पहला अटेम्ट दिया लेकिन वे इसमें असफल रहीं। उन्होंने फिर 2016 UPSC एग्जाम दिया, इसमें वे 99 भी रैंक हासिल कीं और वह मध्य प्रदेश कैडर की आईपीएस ऑफिसर बन गईं। लेकिन उन्होंने वर्ष 2018 में UPSC एग्जाम फिर से दीं और वे 12वीं रैंक के साथ आईएएस ऑफिसर बन गईं। नम्रता आईएएस ऑफिसर बनने के लिए बहुत कठिन परिश्रम की हैं। नम्रता के इस कठिन भरी जीवन शैली से हमें यह सीख मिलती है की हम सबको मुश्किलों से डरना नहीं चाहिए, बल्कि अपने मेहनत के दम पर विश्वास रखते हुए लक्ष्यों को हासिल करना चाहिए।

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