इजरायली सेना लगातार लेबनान और गाजा में हमले कर बड़ा नुकसान पहुंचा रही है. हालात एक बड़े युद्ध की तरह बने हुए है. इस बीच भारत और इजरायल के बीच रिश्तों में खटास पैदा होती दिख रही है. इजरायल-लेबनान सीमा पर बिगड़ते हालात और अशांति के बीच भारत शनिवार को संयुक्त राष्ट्र अंतरिम बल में सेना का योगदान देने वाले देशों में भी शामिल हो गया है.
इतना ही नहीं भारत इजारयल द्वारा की जा रही लेबनान में कार्रवाई के खिलाफ भी सख्त रुख अपना चुका है. दरअसल, इजरायल के हमले में लेबनान में दो संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिक घायल हो गए हैं. इसके बाद न्यूयॉर्क में यूएन भारत के स्थाई मिशन ने एक्स पर एक पोस्ट लिखकर बड़ी बात कही है. पोस्ट में कहा गया कि एक प्रमुख सैन्य योगदानकर्ता देश के रूप में भारत 34 यूएनआईएफआईएल सैन्य योगदानकर्ता देशों द्वारा जारी संयुक्त बयान के साथ पूरी तरह खड़ा है. बयान में कहा गया की शांति सैनिकों की सुरक्षा ही सबसे बढ़कर है. इसे वर्तमान स्थिति यूएनएससी प्रस्तावों के अनुसार सुनिश्चित किए जाने की जरूरत है.
संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिक घायल
इजरायल की तरफ से लेबनान में हमले लगातार किए जा रहे हैं. राजधानी बेरूत की हवा में तो बारूद की गंध आ रही है. इस बीच इजरायल की सेना ने कहा कि शुक्रवार को दक्षिण लेबनान के नकौरा में उनके वॉचटावर के पास एक इजरायली हमले में श्रीलंका के दो संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिक घायल हो गए. 48 घंटे के भीतर दूसरी बार इस क्षेत्र में शांति सैनिकों के मुख्य बेस पर विस्फोट हुए थे.
यूनिफिल बल ने इसे गंभीरता घटनाक्रम दिया और कहा कि संपत्ति की सुरक्षा की गारंटी दी जानी जरूरी है. बल में दर्जनों देशों के 10,000 से अधिक शांति सैनिक शामिल हैं. इतना ही नहीं इसमें सबसे ज्यादा सैनिक भारत के हैं. भारत के करीब 900 सैनिक इसमें शामिल हैं.
यह बयान संयुक्त राष्ट्र बलों को निशाना बनाने वाली इजरायल कार्रवाइयों भारत की बेचैनी को भी सिद्ध करता है. हिजबुल्लाह के खिलाफ इजरायल की कार्रवाई पर भारत का रुख सामान्य था. अब ऐसा नहीं है, क्योंकि भारत ने इजरायल के खिलाफ सख्त कदम उठा लिया है.
विदेश मंत्रालय ने कही बड़ी बात
विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम ब्लू लाइन पर बिगड़ती सुरक्षा स्थिति से चिंतित हैं. आगे कहा कि हम स्थिति पर बहुत ही बारीकी से नजर बनाए हुए हैं. 120 किलोमीटर की ब्लू लाइन संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त सीमांकन रेखा है, जो दक्षिणी लेबनान में इजरायली सेना की वापसी को दर्शाने का काम करती है. आगे कहा कि यह लेबनान को इजरायल और गोलाना हाइट्स से अलग करने का काम करती है. यह आधिकारिक सीमा नहीं है. मंत्रालय ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र परिसर की अखंडता का सभी को सम्मान करने की जरूरत है.