नई दिल्लीः दिवाली का महापर्व तो बीच चुका है, जिसके बाद अब छठ पूजा त्योहारी की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. छठ पूजा (Chhath Puja) को लेकर लोगों में बड़ा उत्साह देखने को मिल रहा है. 5 नवंबर यानी मंगलवार की सुबह से नहाय-खाय के साथ छठ पूजा (Chhath Puja) की शुरुआत हो चुकी है. 8 नवंबर को सूरज को जल अर्ध्य देने के बाद व्रत का पारण किया जाएगा. इसके साथ ही चार दिन छठ महापर्व (Chhath Puja) में छठी मैया और सूर्यदेव की पूजा-आराधना की जाती है.

हिंदू धर्म की मान्यताओं के मुताबिक, इस व्रत से घर में सुख-समृद्धि और उन्नति व शांति बनी रहती है. इसके साथ ही छट मैया निसंतानों को संतान प्राप्त होने का भी वरदान देती हैं. छठी मैया (chhath maiya) को सू्र्य देवता की बहन माना जाता है. जो अपने भक्तों पर सुख-शांति बनाए रखने की कृपा बरसाती हैं. धार्मिक कथाओं की मानें तो छठी मैया मैया भोलेनाथ के पुत्र कार्तिकेय की पत्नी भी मानी जाती हैं. इसलिए छठ मैया और सूर्यदेव की पूजन विधि आप जान लें, जिससे आपको कोई भूल चूक ना हो जाए.

छठी मैया के व्रत में इन बातों का रखें ध्यान

नहाय-खाय के दिन सबसे पहले घर की साफ-सफाई करने का काम करें. इसके साथ ही शुद्ध शाकाहारी भोजन खाएं. सेंधा नमक का उपयोग भोजन में कर सकते हैं. छठ मैया के व्रत के दिन केवल एक बार ही भोजन का सेवन किया जाता है.

शाम के समय में फलाहार किया जाता है. इस दिन से नारंगी रंग का सिंदूर लगानेके बाद छठ प्रसाद बनाया जाता है. सूर्यदेव और छठी मैया को भोग लागने के बाद ही भोजन ग्रहण करना होता है. व्रती को परिवार के सभी सदस्यों के बीच प्रसाद वितरण करना होता है. इसके ठीक अगले दिन खरना की तैयारी करनी होती है.

खरना के दिन करें यह काम

छठ पूजा के दूसरे दिन खरना होता है. इस दिन निर्जला व्रत रखना होता है. शाम के समय गुड़ की खीर, घी लगी रोटी और फलों को खा सकते हैं. यह सब घर के सदस्यों के बीच प्रसाद के रूप में वितरण किया जाता है.

छठ का तीसरा दिन बेहद खास

छठ का तीसरा दिन बहुत ही खास माना गया है. यह वो दिन होता है जब कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी होती है. इस दिन विधि-विधान से छठ पूजा की जाती है. शाम को सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा की जाती है. इसके साथ ही बांस की टोकरी में ठेकुआ, चावल के लड्डू और फल रखे जाते हैं. पूजा का सूप सजाया जाता है. इसमें डूबते सूरज को जल अर्घ्य देने का काम किया जाता है. इसके साथ छठी मैया की पूजा की जाती है.

उगते सू्र्य को अर्ध्य

छठ का तिसरा दिन भी बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन भक्त नदी के घाट या तट पर पहुंचकर सूर्य को अर्घ्य देते हैं. पूजा-अर्चना के बात व्रती कच्चे दूध का शरबत पीकर और थोड़ा प्रसाद ग्रहण करके पारण करती हैं. इसी तरह छठ पर्व का समापन हो जाता है.

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