नई दिल्लीः क्या आपको पता है कि प्राइवेट इंडस्ट्री (Private Industry) में जॉब करने वाले कर्मचारियों को भी रिटायरमेंट के बाद पेंशन (Pension) का फायदा मिलता है. आप सुनकर यह चौंक रहे होंगे, लेकिन सौ फीसदी सच है. अब सरकार की तरफ से मिनिमम पेंशन राशि को बढ़ाने का फैसला लिया जा सकता है. जब से केंद्र सरकार ने UPS की घोषणा की तभी से प्राइवेट जगत में जॉब करने वाले कर्मचारी संगठनों ने मांग करनी शुरू कर दी है. कर्मचारी संगठनों ने मिनिमम मंथली पेंशन(Minimum Monthly Pension) को बढ़ाकर 9,000 रुपये करने की मांग की है. इस पर सरकार की तरफ से अभी कुछ नहीं कहा गया है.

EPS से मिनिमम पेंशन का क्या नियम?

केंद्र सरकार की ओर से साल 2014 में केंद्र सरकार ने ईपीएस( EPS) के तहत आने वाले पेंशनरों के लिए मिनिमम पेंशन (Minimum Pension) 1,000 रुपये प्रति महीने घोषित करने का फैसला किया गाय था. कुछ दिन पहले श्रम मंत्रालय ने पिछले साल वित्त मंत्रालय को एक प्रस्ताव भेजा था, जिसमें ईपीएस-95 के तहत पेंशन को दोगुना करने की मांग की थी. वित्त मंत्रालय ने इस प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी. अगर इसे मंजूरी दी जाती तो यह बढ़कर 2,000 रुपये हो जाती. सरकार ने इस तरह का कोई फैसला नहीं लिया.

नौकरी करते समय कैसे होता है कॉन्ट्रिब्यूशन?

किसी भी कंपनी में कोई कर्मचारी जॉब कर रहा है तो उसकी बेसिक सैलरी का 12 प्रतिशत हिस्सा मंथली फंड पीएफ में जमा करने का काम किया जाता. इतना ही योगदान यानी कॉन्ट्रिब्यूशन कंपनी की ओर से पीएफ ट्रांसफर होता है.

कर्मचारी के बेसिक सैलरी का 12 प्रतिशत हिस्सा हर मंथली ईपीएफ अकाउंट में जाता है. जबकि कंपनी का योगदान दो हिस्सों में बंट जाता है. इसमें 8.33 प्रतिशत हिस्सा EPS फंड में जमा रहता है. 3.67 फीसदी हिस्सा एम्पलाइज प्रॉविडेंट फंड यानी ईपीएफ में जाता है, जिससे किसी तरह की प्रॉब्लम नहीं होती है.

 कुछ दिन पहले केंद्र सरकार ने UPS पर लिया फैसला

सरकार की ओर से कुछ दिन पहले UPS की घोषणा की गई है. इस योजना का फायदा करीब 23 लाख कर्मचारियों मिलने वाला है. अपने पत्र में UPS का हवाला देते हुए एसोसिएशन ने इस बात पर प्रकाश डाला कि ईपीएस के तहत लगभग 75 लाख कर्मचारी आते हैं. सरकार UPS योजना को 1 अफ्रैल 2025 से लागू कर दिया जाएगा.

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