Success Story of IAS Ramesh Gholap : हर साल उम्मीदवारों के लिए यूपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा को कंडक्ट कराई जाती है। यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों को अपने पिछले टॉपर्स की उपलब्धियां से प्रेरणा लेनी चाहिए क्योंकि ये लोग बहुत संघर्ष करके इस परीक्षा को पास किए होते हैं।
भारत की सबसे कठिन प्रतियोगी परीक्षा यूपीएससी की परीक्षा है, इसे पास करने के लिए बहुत कठिन मेहनत की जरूरत होती है। साल 2012 में एक अभ्यर्थी ने बहुत संघर्ष करके इस परीक्षा को पास किए हैं और इस अभ्यर्थी का नाम रमेश घोलप है जो कि अब आईएएस बन चुके हैं। रमेश बिना को किसी कोचिंग के, शारीरिक विकलांगता और वित्तीय कठिनाइयों के बावजूद यूपीएससी परीक्षा को क्वालीफाई किये और ऑल इंडिया रैंक 287 हासिल की। IAS रमेश जी का विचार है की “मेहनत करना मत छोड़ो, प्रयास जारी रखो, सफ़लता जरूर मिलेगी।” रमेश को यह सफलता सही मार्ग, शिक्षकों और सही स्ट्रेटजी के तहत मिली। उनके जीवन में बहुत सारे कठिनाइयां आई तो भी उन्होंने परिस्थितियों का सामना किया और कभी हार नहीं माना। आइये इस कॉन्टेंट में Success Story of IAS Ramesh Gholap के बारे में जानते हैं।
IAS Ramesh Gholap Biography
IAS रमेश घोलप महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के छोटे से गांव महगांव के निवासी हैं। उनका बचप्पन बेहद तंगी और अभाव में व्यतीत हुआ। कम उम्र में ही उनके पिता की मृत्यु हो गयी। उनके पिता साइकिल बनाने वाली दुकान पे काम करते थे लेकिन वे शराब बहुत पीते थे जिस कारण वे गुजर गए। रमेश अपनी मां के साथ सड़कों पर चूड़ियां बेचा करते थे। इसके अलावा पोलियों ने रमेश का पैर भी छीन लिया। इन सभी कठिन परिस्थितियों के बावजूद भी रमेश ने कभी हार नहीं मानी। रमेश ने अपनी पढ़ाई-लिखाई अपने गांव से ही की। बाद में वह अपने चाचा के घर पढ़ाई के लिए चले गए। उनकी आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी। 12वीं की पढ़ाई पूरी होने के बाद रमेश ने डिप्लोमा के पढ़ाई की। फिर रमेश ने पढ़ाना शुरू कर दिया। उस दौरान उन्होंने बीए की डिग्री भी प्राप्त कर ली। फिर रमेश में यूपीएससी की तैयारी करने की ठान ली।
Success Story of IAS Ramesh Gholap
रमेश में यूपीएससी की तैयारी करने का लक्ष्य बना लिया। उन्होंने पढ़ाई के लिए अपनी नौकरी भी छोड़ दी। साल 2010 में पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी लेकिन वे पास नहीं हो पाए। उनकी मां ने गांव के लोगों से पैसे उधार लिए और रमेश को पढ़ाई के लिए बाहर भेज दिया। रमेश पुणे चले गए और वहीं से उन्होंने बिना किसी कोचिंग की यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू की। साल 2012 में, रमेश ने सिविल सर्विस परीक्षा को क्वालीफाई कर लिया। रमेश ने 287 रैंक हासिल की और उनको विकलांग कोटा के तहत आईएएस कैटेगरी मिल गयी।