उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग की ओर से एक नया नियम बना दिया है, जिसे जानना आपके लिए बहुत ही जरूरी है. अब पांच किलोवाट तक के घरेलू बिजली कनेक्शन पर एक हिस्से में किसी दुकान में लाइट का फायदा ले रहे हैं तो विभाग की तरफ से मुकदमा दर्ज नहीं किया जाएगा. कमर्शियल कनेक्शन नहीं लेने पर बिजली निगम राजस्व निर्धारण की कार्रवाई करने का काम कर सकता है.

इस फैसले से अब बिजली उपभोक्ताओं को थोड़ी राहत जरूरी मिलेगी. बीते दिन बुधवार को मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के एमडी भवानी सिंह ने यह बड़ा आदेश जारी किया है, जिसकी चर्चा चारों तरफ हो रही है. विभाग का यह बड़ा फैसला माना जा रहा है. कई बार ऐसा होता कि बिजली कनेक्शन होने क बाद किसी दूसरे हिस्से में इस्तेमाल करने पर विभाग की ओर से कार्रवाई कर दी जाती है, लेकिन अब ऐसा नहीं होने जा रहा है.

आदेश में कही बड़ी बात

मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के एमडी भवानी सिंह ने आदेश में कहा कि यूपी विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी विद्युत पहला आदेश सन 2009 के मुताबिक, यदि चेकिंग के दौरान पांच किलोवाट या उससे कम भार वाले घरेलू ग्राहकों के परिसर का आंशिक उपयोग कमर्शियल कार्यों के लिए पायाा जाता रहा है.

इसके अलावा मीटर बाईपास/मीटर टेंपर अथवा अन्य कोई विसंगति सामने नहीं है तो ऐसी मामले में किसी तरह का मुकदमा दर्ज नहीं हो सकेगा. बिजली विभाग की ओर से यह बड़ा कदम माना जा रहा है, जिससे किसी तरह की परेशानी नहीं होने वाली है. ऐसी स्थिति में नियमानुसार प्रोविजनल असेसमेंट की धनराशि से उपभोक्ताओं को नोटिस के तहत सूचित करने का काम किया जाए.

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने कही बड़ी बात

इस राज्य के विद्युक उपभोक्ता परिषद के चीफ अवधेश कुमार वर्मा ने बड़ी बात कही है. उन्होंने कहा कि साल 2009 में ही कानून बन गया था कि ऐसे मामले में बिजली चोरी का केस दर्ज नहीं कराया जा सकता. सिर्फ राजस्व निर्धारण की कार्रवाई करने का काम किया जा सकता है.

जानकारी के लिए बता दें कि बिजली चोरी पकड़े जाने पर विभाग की तरफ से ग्राहक पर पेनल्टी डालने का प्रावधान पहले से ही है. अब केवल राजस्व निर्धारण की कार्रवाई हो सकेगी.

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