Diwali Par Laxmi Puja Ka Muhurat: दिवाली का पर्व Diwali Festival) आज है, जिसे लेकर लोगों में बड़ा उत्साह दिख रहा है. दिवाली के मौके पर हर किसी के मन में असमंजस की स्थिति पनप रही है कि लक्ष्मी पूजन (Laxmi Pujan) का शुभ मुहूर्त कब है. क्या आपको पता है है? अगर किसी तरह के कंफ्यूजन में फंसे हुए हैं तो हमारे आर्टिकल में आराम से जान सकते हैं, जिसमें आपके सब सवाल का जवाब आसानी से मिल जाएगा.
इस बार दिवाली का खास त्योहार 31 अक्टूबर को बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है, जहां सुबह से ही लोगों में काफी खुशी देखने को मिल रही है. धार्मिक नगरी अयोध्या और मथुरा, काशी में भी दिवाली 31 अक्टूबर यानी आज ही मनाई जा रही है. दरअसल, सर्वमान्य रूप से दिवाली 31 अक्टूबर को है. आज ही दिवाली पूजन के लिए घरों में जो शुभ मुहूर्त है वह शाम के समय प्रदोष काल में है।
दिवाली से जुड़ी जरूरी बातें
अगर शास्त्रों की मानें तो आपके शहर और गांव में जो सूर्यास्त होता है उससे पिछे और आगे की 48 मिनट प्रदोष काल मानी जाती है. इसी समय में स्थिर लग्न यानी वृषभ, सिंह, वृश्चिक और कुंभ में से कोई भी लग्न हो तब गृहस्थ जनों को दिवाली पूजन (Diwali Pujan) करना जरूरी है. इससे आपको इससे स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है.
जानिए दिवाली पूजन का शुभ मुहूर्त कब?
दिवाली का महापर्व (Diwali Festival) कार्तिक अमावस्ता पर मनाया जाता है. इस साल कार्तिक अमावस्या की तारीख शुरू 31 अक्टूबर को 3 बजकर 52 मिनट पर हो रहा है। इसके साथ ही कार्तिक अमावस्या तिथि 1 अक्टूबर को शाम 6 बजकर 16 मिनट पर रहेगी। 31 अक्टूबर को सूर्यास्त शाम 5 बजकर 36 मिनट पर होने वाला है.
ऐसी स्थिति में दिवाली पूजन (Diwali Pujan) का शुभ मुहूर्त 31 अक्टूबर को 5 बजकर 36 मिनट से शुरू हो रहा है. लेकिन स्थिर लग्न वृषभ 6 बजकर 32 मिनट से 8 बजकर 33 मिनट तक रहने वाला है. अमृत चौघड़िया शाम 7 बजकर 14 मिनट तक रहने वाला है. इसलिए दीपावली पर 31 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजन का सबसे उत्तम समय शाम 6 बजकर 32 मिनट से 7 बजकर 14 मिनट तक रहने वाला है.
जानिए पूजा विधि
दिवाली पर्व (Diwali Pujan) पर लक्ष्मी पूजा (Laxmi Pujan) की विधि जान लेना आपके लिए बहुत ही जरूरी है. सबसे पहले साधक गंगाजल युक्त पानी से स्नान करने का काम करें. फिर आचमन कर स्वयं को शुद्ध करें और पीले रंग का वस्त्र धारण कर लें। अब गंगाजल से पूजा स्थल को शुद्ध करने का काम करें. फिर चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाकर लक्ष्मी गणेश जी की नवीन प्रतिमा को रखें. इसके बाद साधक को अब ध्यान मंत्र और आवाहन मंत्र का पाठ करना होगा. पूजा के समय धन की देवी मां लक्ष्मी को फल, फूल, धूप, दीप, हल्दी, अखंडित चावल, बताशा, सिंदूर, कुमकुम, अबीर-गुलाल आदि चीजें अर्पित करनी होंगी.