एक कहावत तो आप भी वर्षों से सुनते हुए ही आए होंगे कि जगत का नियम प्रत्येक के लिए सामान है, फिर चाहे वो भगवान हो या हैवान। यहाँ तक कि ढेरों पौराणिक कहानियाँ ऐसी हैँ, जिसमें इनके बारे में बताया भी गया है और इन गाथाओं को हम बचपन से सुनते हुए ही आ रहे होते हैँ। वहीं, अगर विष्णु पुराण कि कथा के अनुसार देखें तो एक बार देवी लक्ष्मी जी को अपनी गलती या समझ लें कि भूल कि वजह से धरती में जन्म लेना पड़ा था।
ये शाप किसी और ने नहीं बल्कि स्वयं भगवान विष्णु जी ने ही दिया था। फिर धरती में माँ लक्ष्मी जी को माली के बेटी के रूप में धरती में रहना पड़ा था। आइए हम बताते हैँ आपको ये पौराणिक कथा।
विष्णु जी संग धरती पर विचरण करने निकली देवी लक्ष्मी जी
यदि लक्ष्मी पुराण में बताई गई कहानी के अनुसार माने तो एक बार विष्णु जी को धरती लोक में विचरण करने का मन हुआ। फिर अपनी इच्छा को उन्होंने माँ लक्ष्मी के सामने जाहिर किया कि वे धरती लोक में जाकर जन जीवन को समीप से देखना चाहते हैँ कि उनके भक्त किस हाल में हैँ। विष्णु जी कि बात सुनकर लक्ष्मी जी को प्रसन्नता हुई। फिर माँ लक्ष्मी जी ने इच्छा जताई कि वे भी प्रभु विष्णु जी संग जाएंगी।
वहीं, विष्णु जी ने माँ लक्ष्मी जी से भगवान विष्णु ने पहले ही कहा कि प्रकृति को दूर से निहारेंगे, स्पर्श नहीं करेंगे। देवी लक्ष्मी जी ने भी हाँ कहा और वो भगवान विष्णु जी संग धरती लोक में पधारी।
धरती लोक में बारिश देख माँ लक्ष्मी जी हो गई अत्यधिक प्रसन्न:
माँ लक्ष्मी ज़ब भगवान विष्णु भगवान के साथ पहुंची तो पृथ्वी लोक में बारिश का मौसम था और यहाँ चारों ओर हरियाली ही हरियाली थी। फिर टहलते टहलते उन्हें एक गुलाब दिखाई दिया, जिसे देख लक्ष्मी जी मन्त्र मुग्ध हो गई ओर यूज़ तोड़ निहारने लगी।
विष्णु जी ने दिया था ये श्राप
अब ज़ब विष्णु जी ने लक्ष्मी माँ के हाथ में गुलाब देखा तो उन्होंने लक्ष्मी जी से कहा कि देवी मैंने आपसे कहा था कि धरती लोक में किसी भी वस्तु का स्पर्श न करने को, लेकिन आपने मेरी बातों को अनसुना कर दिया। क्या आप जानती हैँ कि ये बगीचा मेरे भक्त का है, जिसकी जीविका इसी बगीचे के ऊपर निर्भर है।
तब लक्ष्मी जी कहती हैँ कि प्रभु आप यूँ क्रोधित न हों। मैंने एक पुष्प ही तो तोड़ा और वो माली एक पुष्प से कितना ही कमा लेता। भगवान विष्णु जी से आज्ञा लेते हुए उन्होंने आगे कहा कि आप कहें तो मैंने इनके जीवन को धन से पूरा भर दूँ।
विष्णु जी ने देवी लक्ष्मी को इस वजह से दिया शाप
देवी लक्ष्मी कि बातें सुनकर विष्णु जी बहुत ही ज्यादा क्रोधित हो गए। फिर उन्होंने लक्ष्मी जी को हर वस्तु को मूल्य समझाने के उद्देश्य से शाप दिया कि जिस धन, वैभव पर उन्हें इतना ज्यादा अहंकार है। वो उनका साथ छोड़ देंगे और धन का आभाव आ जाएगा। जिस बगीचे से देवी लक्ष्मी ने गुलाब का फूल तोड़ा था, वे इस बगीचे के मालिक के घर जाकर संघर्षपूर्ण जीवन के मूल्यों को समझेंगी। विष्णु जी जे शाप के प्रभाव से देवी लक्ष्मी जी एक छोटी सी कन्या बन गईं।
माली कि बेटी बन कर रहने लगीं
कन्या रूप में बदली हुई देवी लक्ष्मी इसे बगीचे में रोने लगीं। ज़ब माली बगीचे में आए तो उन्हें अनाथ कन्या के ऊपर दया आई और माली इस बेटी को घर ले आया। माली कि पत्नी भी बेटी देख कर प्रसन्न हुई। फिर जैसे जैसे लक्ष्मी जी को धन और जीवन मूल्यों के बारे में समझ आता गया, उस माली कि आमदनी बढ़ती चली गई। इस तरह से देवी लक्ष्मी जी को सीख मिला। फिर जैसे ही शाप कि अवधि हुई विष्णु जी माली के घर आए और कथा सुनाकर माँ लक्ष्मी को वैकुंठ लेकर गए।