Diwali 2024 Upay: सनातन धर्म के लोगों में गाय को माता का रूप माना जाता है, जिसकी पूजा-अर्चना खूब होती है. हिंदू धर्म के चाहने वालों में गाय को सिर माथे पर रखा जाता है. वैसे भी हमारी संस्कृति में गाय को कई नाम से पुकारा जाता है. कहते हैं कि गाय के पूजन से मन की सभी कामनाएं पूरी हो जाती हैं. आज हम आपको कामधेनु गाय के बारे में बताने जा रहे हैं.

कई ग्रंथों में कामधेनु को अलग-अलग नामों से जाना जाता है. इसमें सुरभि, सुनंदा, सुमन, नंदिनी और सुशीला शामिल हैं. कामधेनू एक पूर्ण श्वेत गाय है, जिसकी उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई है. देवताओं और दानवों के बीच हुए समुद्र मंथन से कई रत्न निकले. इसमें से कामधेनु एक रत्न की तरह है.

पुराणों के अनुसार, समुद्र मंथल के समय बहुत तेज ध्वनि आई और जब देव और दानवों ने ऊपर की तरफ देखा तो साक्षात कामधेनु ही नजर आई. इसके साथ ही कामधेनु को ऋषियों ने अपने पास में रख लिया. हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार दिवाली पर गाय का फोटो या मूर्ति लाकर विधि विदान से पूजा करके इसको मंदिर या सही दिशा में रखने से घर में सुख-समृद्धि का वास रहता है. बुरे समय का निदान हो जाता है.

जानिए कैसी दिखती कामधेनु गाय?

क्या आपको पता है कि कामधेनु गाय कैसी दिखती है. कामधेनु एक सफेद गया होती है. हिंदू मान्यता के अनुसार, कामधेनु गाय के अंदर देवी-देवताओं का वास होता है. कुछ धार्मिक कहानियों में तो कामधेनु गाय का सिर एक महिला की तरह बताया गया है. इसे गायों की माता भी कहा जाता है. समुद्र मंथन से उत्पत्ति होने के बाद कामधेनु ने कई बड़े अचंभित चमत्कार दिखाए हैं.

इसे किसी के पास ये गाय होती है. उसके सभी कार्य सिद्ध हो जाते थे. राजा-महारााज से लेकर ऋषि-मुनि तक, कामधेनु के चमत्कारों से अभिभूत हुए हैं, जिसके बाद से लोग गाय की पूजा करने लगे. मान्यताओं के अनुसार, कामधेनु के पास ऐसी शक्तियां हैं, जिससे हर मनोकामना आराम से पूरी हो जाती है.

कामधेनु गाय से संबंधित जरूरी बातें

कामधेनु गाय को सुरभि,गायों की माता के नाम से जाना जाता है. इसके साथ ही कामधेनु गाय को समुद्र मंथन से निकला एक रत्न माना जाता है. वहीं, कामधेनु गाय को स्वर्ग लोक में रहने वाली माना भी कहा जाता है. वहीं, चार पैरों को चार वेदों का प्रतीक भी समझा जाता है. गाय के आंखों में सूर्य और चंद्रमा का वास रहता है. कामधेनु गाय को धन, सुख-सौभाग्य का चिन्ह समझा जाता है.

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