नई दिल्लीः अगर आप टैक्सपेयर्स (taxpayers) हैं तो फिर एक बड़ा अपडेट सामने आया है. अब नए नियमों के अनुसार, पीआरसीआईटी रैंक का अधिकारी टैक्सपेयर्स (taxpayers) का बकाया ब्याज (Interest) को कम करने या फिर माफ करने का फैसला ले सकेगा. आयकर विभाग (Income Tax Department) की तरफ से अधिकारियों को निर्दिष्ट शर्तों के अधीन टैक्यपेयर्स (taxpayers) के देय ब्याज को माफ करने या कम करने की मंजूरी पूरी तरह से दे दी है.

सीसीआईटी रैंक के अधिकारी आराम से 50 लाख से 1.50 करोड़ रुपये के बकाया ब्याज पर छूट, कम करने या माफी का फैसला कर सकते हैं. इसके अलावा पीआरसीआईटी या आयकर आयुक्त 50 लाख रुपये के बकाया ब्याज (Interest) पर बड़ा फैसला ले सकते हैं. वहीं, धारा 220(2ए) के अनुसार देय ब्याज (Interest) को कम या छूट तीन निर्दिष्ट शर्तों के पूरा होने पर मिलेगा. आयकर विभाग (Income Tax Department) का यह फैसला किसी बड़े कदम की तरह माना जा रहा है.

कई हजार फर्जी कंपनियां सक्रिय, बंपर कर चोरी पकड़ी

आयकर विभाग (Income Tax Department) की ओर से देशभर में चलाए गए विशेष अभियान के तहत कर अधिकारियों ने बड़ी संख्या में जीएसटी (GST) के तहत पंजीकृत फर्जी कंपनियों को पकड़ा है. एक रिपोर्ट के अनुसार, कर अधिकारियों की मानें तो जीएसटी (GST) के तहत रजिस्टर्ड करीब 18,000 फर्जी कंपनियों का पता लगाया है. करीब 25,000 करोड़ रुपये की कर चोरी भी पकड़ी है.

इन सभी कंपनियों ने जमीन पर किसी सामान की खरीद और बिक्री नहीं की है. सिर्फ कागजों में खानापूर्ति कर इनपुट टैक्स क्रेडिट तैयार उसके नाम पर सरकार से तगड़ी रकम ले ली है. इसके साथ ही सीबीआई ने सीमा शुल्क अधिकारियों से निर्यात/आयात धोखाधड़ी के मामलों में पत्र/समन जारी करते समय चल रही जांच की विशिष्ट प्रक्रति का खुलासा करने और एक साल के भीतर जांच पूरी करने के लिए कहा गया है.

धोखाधड़ी की कितने समय में करनी होगी जांच

धोखाधड़ी की जांच कितने समय में पूरी करनी होगी, यह भी तय कर दिया है. सीबीआईसी ने सीमा शुल्क अधिकारियों से निर्यात/आयात धोखाधड़ी के मामलों में पत्र/समन जारी करते हुए समय चल रही जांच की विशिष्ट प्रक्रति का खुलासा करने और एक वर्ष के अंदर जांच पूरी करने का निर्देश दिया गया है.

1 नवंबर 2024 को दिशा-निर्देश जारी करते हुए सीबीआईसी ने कहा कि किसी भी वाणिज्यिक आसूचना/धोखाधड़ी के मामले की जांच जल्द से जल्द निष्कर्ष पर पहुंचनी चाहिए. सामान्य रूप से किसी भी जांच में एक साल से अधिक समय नहीं लगना चाहिए. आगे कहा कि जांच का काम करने से पहले सभी सूचनाओं पर गौर की जाए जिससे किसी तरह की दिक्कत नहीं हो.

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