Success Story of IAS Mainpuri Suraj : यूपीएससी परीक्षा देश की सबसे कठिन परीक्षा है। इसी यूपीएससी परीक्षा को मैनपुरी के रहने वाले दिव्यांग सूरज तिवारी ने इस परीक्षा को पास करके बहुत सारे अभ्यर्थियों के लिए एक मिसाल बन गए हैं। एक ट्रेन हादसे में सूरज के दोनों पैर और एक हाथ चले गए। इन सभी घटनाओं के बावजूद भी सूरज ने हार नहीं मानी और अपने मेहनत के डीएम पर वे UPSC परीक्षा को पास किये और 917वीं रैंक प्राप्त किये। सबसे बड़ी बात यह है कि सूरज ने यूपीएससी की तैयारी के लिए कोई कोचिंग नहीं किए हैं, उन्होंने बिना कोचिंग किये ही यूपीएससी परीक्षा क्लियर किये। कई सारे कैंडिडेट यही कहते हैं कि जब तक मैं यूपीएससी परीक्षा के तैयारी के लिए कोई कोचिंग नहीं करूंगा तब तक मैं पास नहीं हो पाऊंगा लेकिन सूरज ने बिना कोई कोचिंग किए ही इस परीक्षा को पास करके उम्मीदवारों के लिए उदाहरण बन गए हैं। आइये इस कॉन्टेंट में Success Story of IAS Mainpuri Suraj के बारे में जानते हैं।

IAS Mainpuri Suraj Biography

सूरज तिवारी मैनपुरी जिले के कुरावली तहसील के मोहल्ला घरनाजपुर के रहने वाले हैं। उनके पिता का नाम राजेश तिवारी है जो दर्जी का काम करते हैं। सूरज की 24 जनवरी, 2017 को गाजियाबाद की ट्रेन हादसे में घुटनों से दोनों पैर, दाएं हाथ की कोहनी और बाएं हाथ की दो उंगलिया कट गईं थीं। इस ट्रेन हादसे ने सूरज के जीवन को तहस-नहस कर दिया। सूरज चार महीने तक बहुत ज्यादा दर्द से तड़पते रहे, उनका इलाज भी चलता रहा। इतना बड़ा हादसा होने के बावजूद भी सूरज ने हिम्मत नहीं हारी। कुछ समय बाद सूरज के भाई की भी मौत हो गई और उनके घर की हालत भी और खराब होने लगी। इन सभी घटनाओं से उनका परिवार बहुत दुखी हो गया। सूरज ने बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करके और अपनी तैयारी को जारी रखे और इस परीक्षा में सफलता हासिल किये।

Success Story of IAS Mainpuri Suraj
Success Story of IAS Mainpuri Suraj

Success Story of IAS Mainpuri Suraj

सूरज घर रह कर ही सेल्फ स्टडी किया करते थे उन्होंने कोई कोचिंग नहीं की। सूरज ने अपने साथ हुए इतने बड़े हादसे को स्वीकार किया और आगे बढ़े। 2021 में सूरज में दिल्ली के JNU से BA की डिग्री प्राप्त की और फिर बाद में MA किये। उसके बाद उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। सुरेश ने पहले ही प्रयास में यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल कर लीं। साल 2022 में उनका फाइनल रिजल्ट आया और वे 917वीं रैंक हासिल किये। अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए मन में जज्बा और सहनशक्ति का होना बहुत जरूरी है। सूरज ने अपनी सफलता का पूरा श्रेय दृष्टि आईएएस के संस्थापक विकास दिव्यकीर्ति सर को दिए हैं। सूरज ने बताया कि वह यूट्यूब पर विकास दिव्यकीर्ति कर के लेक्चर सुना करते थे और उनके नोटिस बनाए थे, जिनका फायदा उन्हें इंटरव्यू के दौरान हुआ। वह 18 से 20 घंटे तक रेगुलर पढ़ाई किया करते थे।

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