नई दिल्ली: कुछ इस्लामिक देशों में बेटियों के लिए सख्त कानून आज भी हैं. आपने शरिया कानून (Sharia law) का जिक्र तो सुना ही होगा, जो बेटियों पर कई तरह की बंदिशें लगाता है. शरिया कानून Sharia law) के पालन करने वाले देशों में ईरान भी आता है. ईरान (Iran)भी उन मुल्कों में शामिल है, जहां बेटियों के ड्रेस कोड को लेकर कई सख्त नियम बनाए गए हैं. शरिया कानून (Sharia law) के नियमों की सख्ती का अंदाजा आप इससे ही लगा सकते हैं कि मुंह और सिर ढककर नहीं चलने वाली बेटियों को सार्वजनिक स्थानों पर कोड़े मारकर सजा दी जाती थी.
इतना ही नहीं ऐसी महिलाओं को जेल में ठूंस दिया जाता था. लेकिन क्या आपको पता है कि शरिया कानून (Sharia law) के खिलाफ कुछ बेटियों ने आवाज उठाई और लाखों महिलाओं को उनके अधिकारों का मतलब मतलब जीने की आजादी का अवसर प्रदान किया. करीब दो वर्ष पहले हिजाब से संबंधित ये नियम पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बने जब ईरान (Iran) में हिजाब के खिलाफ महिलाओं ने क्रांति लाकर रख दी. एक बार फिर ईरान (Iran) हिजाब की सख्ती को लेकर च्राच का विषय बना हुआ है.
अहौ दारयाई ने उठाई ईरानी कट्टरपंथी शासन के खिलाफ आवाज
स्लामिक मुल्क ईरान में एक बार फिर हिजाब का को लेकर सख्ती बरती जा रही है. सरकार के इस कानून के खिलाफ बड़ी संख्या में ईरानी महिलाएं आवाज उठा रही हैं. अहौ दारयाई का नाम सुर्खियों में है, जिसे ईरान के कट्टरपंथी शासन के खिलाफ इंकलाब की आवाज के रूप में देखा जा रहा है. ठीक इसी तरह जैसे दो साल पहले महसा अमीनी को देखा गया था. इरानी की ये हिजाब क्रांति से जुड़ी जरूरी बातें आप आराम से जान सकते हैं.
महसा अमीनी को पुलिस ने गिरफ्तार किया
ईरान में हिजाब का विवाद बहुत पुराना है, क्योंकि महिलाओं का एक वर्ग इसके खिलाफ रहता है. करीब एक दशक से अधिक समय से इसे लेकर प्रदर्शन होते रहे हैं जिनमें महिलाओं ने मुख्य रूप से इसमें हिस्सा लिया था. अहौ दारियाई और महसा अमीनी के अलावा मसीह अलीनेजाद, निका शाकर्रामी और हदीस वो नाम हैं जिन्होंने हिजाब विरोधी आंदोलन को आगे बढ़ाकर बड़ी संख्या में महिलाओं को पक्ष में लामबंद किया.
वर्ष 2022 में हिजाब के खिलाफ होने वाले प्रदर्शनों ने एक बड़ी क्रांति का रूप ले लिया. इसके साथ ही 13 सितंबर 2022 की दोपहर ईरान के कुर्दिश बहुल इलाके साकेज की रहने वाली महसा अपने छोटे भाई अस्कान से मिलने तेहरान पहुंची थी. यहां एक्सप्रेस पर मौरेलिटी पुलिस की नजरें पड़ गईं. इसके बाद महसा तुरंत तलब की गईं. उसे गश्त ए इरशाद (मॉरल पुलिस) ने गिरफ्तार कर अपने हिरासत में ले लिया.
पुलिस कस्टडी में चली गई जान
महसा के भाई की मानें तो उसने हिजाब ढंग से नहीं पहन रखा था. उसका हिजाब पहनने का तरीका सरकारी स्टैंडर्ड के अनुसार सही नहीं बैठ रहा था. उसके कुछ बाल भी दिख रहे थे. इस बीच महसा के भाई को पुलिस की ओर से बताया गया कि उसकी बहन को एक हार्ट अटैक आया, जिसे एक हॉस्पिटल में लेकर जाया गया. इसके बाद महसा कोमा में चली गई, जहां तीन दिन बाद पुलिस हिरासत में उसकी मौत हो गई.
महसा की मौत के बाद उग्र हुआ आंदोलन
महसा अमीनी की पुलिस कस्टडी में मौत के बाद महिलाओं का आंदोलन और उग्र हो गया. महिलाओं ने सरकार के सामने हिजाब विरोधी आंदोन की एक बड़ी लकीर खींच दी. ईरानी सरकार इस लकीर को मिटाने की कोशिश करती, लेकिन महिलाओं का आंदोलन और मजबूत होता गया. इस आंदोलन से न सिर्फ ईरान बल्कि दुनियाभर से महिलाएं जुड़ीं. इसमें कठोर सजा को भूलकर महिलाओं ने हिजाब जलाए, बाल भी काटे और वीडियो बनाकर वायरल भी की. चौराहों पर पुलिस की मार भी खाई, लेकिन पीछे नहीं हटीं.
जानकारी के लिए बता दें कि 45 साल पहले तक ईरान में ऐसा कुछ नहीं था, जहां महिलाओं को जीने की खुली आजादी थी. पश्चिमी सभ्यता को मानने वाले लोग थे. महिलाओं के पहनावे को लेकर किसी तरह की बंदिशें नहीं थीं. 1979 ईरान के लिए इस्लामिक क्रांति का दौर लेकर आया.