नई दिल्ली: IND vs NZ 3rd Test सीरीज़ का तीसरा और अंतिम मुकाबला 1 नवंबर से मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेला जाएगा। न्यूजीलैंड की टीम पहले ही 2-0 की अजेय बढ़त बनाकर सीरीज़ अपने नाम कर चुकी है। भारत को यह सीरीज़ जीतने की बड़ी उम्मीद थी, लेकिन बल्लेबाजी में निरंतरता की कमी और विपक्षी टीम के शानदार खेल के चलते यह संभव नहीं हो पाया। अब टीम इंडिया को वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप में अपनी स्थिति मजबूत रखने के लिए आखिरी मुकाबला जीतना बेहद जरूरी है। इस मैच में कीवी कप्तान केन विलियमसन भी चोटिल होने के कारण शामिल नहीं हो पाएंगे।
न्यूजीलैंड क्रिकेट बोर्ड ने घोषणा की है कि ग्रोइन इंजरी से जूझ रहे केन विलियमसन आखिरी टेस्ट मैच से बाहर रहेंगे। कोच गैरी स्टीड के अनुसार, विलियमसन की रिकवरी अच्छी हो रही है, लेकिन उन्हें इंग्लैंड के खिलाफ तीन टेस्ट मैचों की आगामी सीरीज़ के लिए पूरी तरह फिट होना है। न्यूजीलैंड टीम मैनेजमेंट ने इस निर्णय को समझदारी भरा कदम माना है, ताकि इंग्लैंड सीरीज़ से पहले विलियमसन पूरी तरह स्वस्थ हो सकें।
भारत में यह पहली बार है कि टीम को 12 साल बाद घरेलू टेस्ट सीरीज़ में हार का सामना करना पड़ा है। भारतीय टीम के बल्लेबाजों का फॉर्म चिंता का विषय बना हुआ है। पिछले दोनों मैचों में बल्लेबाजों के लचर प्रदर्शन ने भारत को सीरीज़ से बाहर कर दिया। न्यूजीलैंड की टीम ने जहां हर पारी में संतुलित और समझदारी से खेला, वहीं भारतीय बल्लेबाज बड़े स्कोर बनाने में नाकामयाब रहे।
न्यूजीलैंड की यह पहली टेस्ट सीरीज़ जीत है जो उन्होंने भारत में दर्ज की है। कीवी टीम ने एक सटीक और सुव्यवस्थित रणनीति के तहत खेला, जिसके चलते भारतीय टीम को हराया जा सका। हरफनमौला खिलाड़ियों का योगदान, सटीक गेंदबाजी और महत्वपूर्ण समय पर कैच पकड़ने के कारण कीवी टीम ने सीरीज़ अपने नाम कर ली।
कप्तान रोहित शर्मा इस सीरीज़ में रन बनाने में असफल रहे हैं। हालांकि उनके पार्टनर यशस्वी जायसवाल ने कुछ हद तक अपनी पारी संभाली, लेकिन वे भी ज्यादा बड़े स्कोर नहीं बना पाए। इसके अलावा विराट कोहली ने पहले टेस्ट में अर्धशतक बनाया था, लेकिन इसके बाद वे रन बनाने में नाकामयाब रहे। यह उनके फॉर्म को लेकर एक चिंता का विषय बन गया है।
ऋषभ पंत और सरफराज खान दोनों युवा खिलाड़ियों ने रन बनाए हैं, लेकिन इस सीरीज़ में भारतीय टीम की कुल बल्लेबाजी प्रदर्शन को ऊंचाई तक ले जाने में सक्षम नहीं रहे।
यह मैच भारत के लिए सिर्फ सीरीज़ में सम्मान बचाने का नहीं है, बल्कि यह वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने के लिए जरूरी अंक भी है। भारतीय टीम के लिए यह मुकाबला करो या मरो जैसा हो गया है। टीम प्रबंधन और खिलाड़ियों के लिए यह जरूरी है कि वे अपनी गलतियों से सीखें और अंतिम मुकाबले में जीत दर्ज करें।