शास्त्रों के अनुसार, पृथ्वी पर जिसका जन्म हुआ उसकी आयु भी निर्धारित रहती है. आयु का जिक्र इसलिए हो रहा है क्योंकि भारत में करवा चौथ का त्योहार बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. करवा चौथ पर्व के चलते महिलाओं के चेहरे पर काफी उत्साह छाया है. महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखकर ईश्वर से कामना करती हैं. पति-पत्नी का रिश्ता ऐसा है जो सात जन्म-जन्मांतर तक रहता है.
इस अटूट बंधन को और मजबूत करने के लिए पत्नी सोलह श्रंगार कर पूजा-अर्चना करती हैं. क्या आपको पता कि जब चंद्रमा के दर्शन होते हैं तो महिलाएं मिट्टी के करवे से चंद्रमा को अर्ध्य देती हैं. मिट्टी के करवे से चंद्रमा को अर्ध्य देने का क्या रहस्य है, क्या आप जानते हैं? अगर नहीं जानते तो ठीक है, क्योंकि हम आराम से नीचे बताने जा रहे हैं, जिससे आपका सब कंफ्यूजन खत्म हो जाएगा.
पति-पत्नी के अटूट बंधन का प्रतीक है करवा चौथ
करवा चौथ का पर्व पति-पत्नी के अटूट रिश्ते का प्रतीक माना जाता है, जिसमें चार चांद लगाने के लिए महिलाएं दिनभर निर्जल व्रत रखकर जिंदगीभर सुहागिन रहने की कामना करती हैं. शास्त्रों के अनुसार, विधाता द्वारा निश्चित होने पर दो लोग विवाह के रिश्ते में बंधकर एक दूसरे कलिए समर्पित रहते हैं. इसलिए पत्नियां पूरे मनोयोग से करवा चौध का विधि-विधान पूर्वक व्रत रखकर मन, कर्म और वचन से समर्पित होकर करवा माता की पूजा कर चंद्रमा को अर्ध्य देने का काम करती हैं. इससे पति की आयु में बढ़ोती के साथ भाग्य भी चमकने लगता है.
मिट्टी का करवा क्यों महत्वपूर्ण?
आधुनिक जमान में मिट्टी के करवे की जगह अब धातु से बने करवे ने ले ली है. यही बदलते जमाने की रफ्तार है. पुराने समय में मिट्टी के करवे का इस्तेमाल पंचतत्व को समन्वित करने का काम करता था. करवा चौथ के दिन मिट्टी के करवे से पत्नी को पानी पिलाया जाता था. आज कुछ जगह मिट्टी के करवे की जगह धातु से बने करवे से पानी पिलाने की पंरपरा चल रही है.
मिट्टी का करवा समर्पण और प्रेम का प्रतीक माना जाता है. वैसे भी मिट्टा का करवा पानी में गलाकर बनाया जाता है. जिससे इसे भूमि और जल तत्व का प्रतीक भी समझा जाता है. इसे धूप और हवा से सुखाने का काम किया जाता है. जानकारी के लिए बता दें कि सुहागिन स्त्रियों का मुख्य पर्व करवा चौथ माना जाता है.
कुछ जानकारों की मानें तो करवाचौथ का नामकरण करवा नाम से इसलिए भी किया गया, क्योंकि पति-पत्नी का रिश्ता करवे की मिट्टी की तरह नाजुक माना जाता है. यह रिश्ता गलतफहमी के चलते टूट भी सकता है. इसलिए महिलाएं नाजुक रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए करवा चौथ का व्रत विधि विधान से रखती हैं.