नई दिल्ली: भारत और न्यूजीलैंड के बीच बेंगलुरु में खेले जा रहे पहले टेस्ट मैच का नतीजा अभी बाकी है, लेकिन टीम इंडिया के सामने अब 107 रनों के मामूली लक्ष्य को डिफेंड करने की चुनौती है। यह टारगेट देखने में जरूर छोटा लगता है, पर भारतीय टीम के खिलाड़ी और उनके फैंस उम्मीद कर रहे हैं कि इस चुनौतीपूर्ण स्थिति में भी टीम कोई चमत्कार कर सकती है। 20 साल पहले की एक जीत का जिक्र करते हुए टीम इंडिया की रणनीति आज भी वैसी ही हो सकती है, जैसा 2004 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ किया था।

इतिहास गवाह है कि भारतीय क्रिकेट टीम ने हमेशा मुश्किल हालातों में लड़ाई लड़ी है। 2004 के मुंबई टेस्ट में, भारत ने ऑस्ट्रेलिया को केवल 107 रनों का लक्ष्य दिया था और फिर अपने गेंदबाजों के दम पर उस टारगेट का सफलतापूर्वक बचाव किया था। उस मैच में भारतीय गेंदबाजों ने ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को केवल 93 रनों पर आउट कर दिया था, और भारत ने 13 रनों से एक यादगार जीत हासिल की थी। उस वक्त हरभजन सिंह ने अद्भुत गेंदबाजी करते हुए 5 विकेट लिए थे, जिसने टीम इंडिया की जीत में अहम भूमिका निभाई थी।

बेंगलुरु टेस्ट में भारतीय टीम की शुरुआत खराब रही, जहां वह पहली पारी में महज 46 रनों पर ढेर हो गई। न्यूजीलैंड ने पहली पारी में 402 रन बनाए, जिससे टीम इंडिया पर 356 रनों की भारी बढ़त आ गई। दूसरी पारी में भारतीय बल्लेबाजों ने जोरदार वापसी की, जहां सरफराज खान ने शानदार शतक और ऋषभ पंत ने 99 रनों की दमदार पारी खेली। इन प्रयासों की बदौलत भारत ने 462 रन बनाकर न्यूजीलैंड के सामने 107 रनों का चुनौतीपूर्ण लक्ष्य रखा।

अब मैच के पांचवें दिन भारतीय गेंदबाजों की असली परीक्षा होगी। न्यूजीलैंड को केवल 107 रनों का लक्ष्य हासिल करना है, जो देखने में आसान लगता है। हालांकि, अगर भारतीय गेंदबाज शुरुआती विकेट निकालने में सफल रहे, तो यह मैच काफी रोमांचक हो सकता है। क्रिकेट में किसी भी समय कुछ भी हो सकता है, और भारतीय फैंस उम्मीद कर रहे हैं कि टीम इंडिया एक बार फिर इतिहास दोहराएगी।

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